Sunday, October 09, 2016




जीवन में खेलों का महत्व 

खेलों का महत्व – खेल मनोरंजन और शक्ति के भंडार हैं | खेलों से खिलाड़ियों का शरीर स्वस्थ और मज़बूत बनता है | खेलों के द्वारा उनके शारीर में चुस्ती, स्फूर्ति, शक्ति आती है | पसीना निकलने से अन्दर के मल बाहर निकल जाते हैं | हड्डियाँ मज़बूत हो जाती हैं | शरीर हलका-फुलका बन जाता है | पाचन क्रिया तेज हो जाती है |

खेलों का दुस्ता लाभ यह है ये मन को रमाते हैं | खिलाड़ी खेल के मैदान में खेलते ही शेष दुनिया के तनावों को भुल जाते हैं | उनका ध्यान फुटबाल, गेंद या खेल में लीन रहता है | संसार के चक्करों को भूलने में उन्हें गहरा आनंद मिलता है |

खेल और चरित्र – खेलों की महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी विवेकानंद खा करते थे – “मेरे नवयुवक मित्रो ! बलवान बनो | तुमको मेरी यही सलाह है | गीता के अभ्यास की अपेक्षा फुटबाल खलेने के दुवारा तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुँच जाओगे | तुम्हारी कलाई और भुजाएँ अधिक मज़बूत होने पर तुम गीता को अधिक अच्छी तरह समझ सकोगे |’’ स्पष्ट है कि खेलों से मनुष्य का चरित्र ऊँचा उठता है | स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन और स्वस्थ आत्मा निवास करती है | स्वस्थ व्यक्ति ही दुनिया से अन्याय, शोषण और अधर्म को हटा सकता है |
महापरुषों के जीवन पर दृष्टि डालें | जिन्होंने समाज में बड़े-बड़े परिवर्तन किए, वे स्वयं बलवान व्यक्ति थे | स्वामी विवेकानंद, दयानंद, रामतीर्थ, महाराणा प्रताप, शिवाजी, भगवान् कृषण, प्रुशोतम राम, युधिष्ठिर, अर्जुन सभी शक्तिशाली महापरुष थे | वे किसी-न-किसी प्रकार की शरीरक विद्या में अग्रणी थे | इसी कारण वे यशस्वी बन सके | बीमार व्यकित तो स्वयं ही अपने ऊपर बोझ होता है |

खेल-भावना का विकास – खेल-भावना का अर्थ है – हार-जीत में एक-समान रहना | इसी से आदमी दुश-सुख में एक-समान रहना शीखता है | यह खेल-भावना खेलों द्वारा सीखी जा सकती है | रोज़-रोज़ हारना और हर को सहजता से झेलना, रोज़-रोज़ जितना और जीत को सहजता से लेना-ये दोनों गुण की देन हैं | अतः खेल जीवन के लिए अनिवार्य है |

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