टी.वी. वरदान या अभिशाप
विवाद का विषय – दूरदर्शन विद्यार्थी के लिए लाभदायक है या हानिकारक ; यह प्रशन विवाद का विषय है | दूरदर्शन के लाभ तथा हानियों को हम इस प्रकार समझ सकते हैं |
ज्ञान-वृद्धि – दूरदर्शन समूची मनुष्य-जाति के लिए वरदान है | दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों में देश-विदेश की, जल-थल-नभ की, पहाड़ों और नदियों की, समुंद्र और रेगिस्तान की, नगर और ग्राम की, इतिहास और वर्तमान की कितनी ही झाँकियाँ दिखलाई जाति हैं | ये सब झाँकियाँ विद्यार्थी का ज्ञानवर्द्धन करती हैं | दूरदर्शन में जीती-जागती वास्तु हमारे सामने साकार रख दी जाती हैं | इसलिए उसका प्रभाव अधिक होता है |
पाठ्यक्रम-संबंदी कार्यक्रम – आजकल दूरदर्शन के माध्यम से छात्रों के पाठ्यक्रम संबंदी कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं | दूरदर्शन के सहारे पाठ्यक्रम दूर-दराज के गाँवों तक भी पहुँच सकता है | इससे दूरस्थ शिक्षा के नए द्वार खुल गए हैं |
हानियाँ – व्यवहार में एक बात देखने में आती है कि दूरदर्शन छात्रों के लिए सहायक न बनकर बाधा के रूप में सामने आता है | अधिकतर छात्र दूरदर्शन के रोचक, सरस कार्यक्रमों में रूचि लेते हैं, जिनका संबंद पाठ्यक्रम या ज्ञान से ण होकर मनोरंजन से होता है | फिल्में, खेल, सीरियल आदि उनका मन मोहे रहते हैं | ऐसी स्थिति में वे पढ़ाई में रूचि नहीं ले पाते; या अधिक समय मनोरंजन में खर्च कर देते हैं | दुसरे, दूरदर्शन से चार्टों को छल, फरेब झूठ, बेईमानी के सरे तरीके पता चल जाते हैं | वे चालाकी, शरारत और उद्दंडता का पाठ सीखते हैं |
निष्कर्ष – दूरदर्शन के विरोध में दिए जाने वाले तर्क आधारहीन हैं | ये तर्क दूरदर्शन के विरोध में नहीं, उन कार्यक्रमों के विरोध में हैं जो छात्रों को आकर्षण के जाल में फँसाते हैं | इस बारे में यही कहा जा सकता है कि छात्रों को दूरदर्शन का सही उपयोग करना चाहिए | उन्हें पढ़ाई को ध्यान में राखते हुए स्वयं पर संयम रखना चाहिए | दूरदर्शन के गलत उपयोग को रोककर उसके लाभ लिए जा सकते हैं | किंतु उसे नकार देने से उसके सभी लाभ समाप्त हो जाएँगे |
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