विज्ञान : वरदान या अभिशाप
विज्ञान एक वरदान – अर्केडियन फरार लिखते हैं- “विज्ञान ने अंधों को आँखों दी हैं और बहरों को सुनने की शक्ति | उसने जीवन को दीर्घ बना दिया है, भय को कम कर दिया है | उसने पागलपन को वश में कर लिया है और रोग को रौंद डाला है |” यह उक्ति सत्य है | विज्ञान की सहायता से असाध्य रोगों के इलाज ढूंढ लिए गए हैं | कई बिमारियों को समूल नष्ट कर दिया गया है |
रसोई-घर से लेकर मुर्दाघर तक सब जगह विज्ञान ने वरदान ही वरदान बाँटे हैं | विज्ञान की सयाहता से पूरी दुनिया एक परिवार बन गई है | जब चाहे, तब मनुष्य अपने प्रियजनों से बात कर सकता है | घंटे भर में दुनिया का चक्कर लगा सकता है | सैकेंडों में दुनिया-भर को कोई संदेश दिया जा सकता है |
विज्ञान ने दूरदर्शन, रेडियो, विडियो, ऑडियो, चलचित्र आदि के द्वारा मनुष्य के नीरस जीवन को सरस बना दिया है | चोबिसों घंटे चलने वाले कार्यक्रम, नए-नए सुंदर सुस्वादु व्यंजन, सुखदायक रंगीन वस्त्र, सौंदर्य-वर्द्धक साधन विज्ञान की ही देन हैं |
विज्ञान : एक अभिशाप – विज्ञान का सबसे बड़ा कहता है – पर्यावरण प्रदूषण | इसके कारण आज शहरों में साँस लेना दूभर हो गया है | हर जगह शोर, गंदगी और बिमारियों का साम्राज्य-सा फैल गया है | कृत्रिम खादों, दवाइयां के कारण भूमि से उत्पन्न अन्न-फल तक दूषित हो गए हैं |
विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने खतरनाक बम बना लिए हैं | इससे अनेक बार विषैली गैसों तथा रेडियोधर्मी किरने विकीर्ण हो चुकी हैं | भोपाल गैस कांड और ओजोन गैस की परत का फटना इसके ज्वलंत उदाहरन हैं | यातायात की तेज गति के कारण भी मौतें होने लगी हैं | लोगों के शरीर पंगु होने लगे हैं | ये सब जीवन पर अभिशाप हैं |
अमानवीयता – आज का वैज्ञानिक मानव स्वार्थी, छली, चालाक, कृत्रिम और विलासी हो गिया है | दया, मानवता, श्रद्धा, आदर, कोमलता जैसे मानवीय गुणों से उसका नाता टूट गया है | ये बातें मनुष्य के लिए अशुभ हैं | विज्ञान ने मनुष्य को बेरोज़गार बना दिया है | सैंकड़ो आदमियों का कम करने वाली मशीनों ने कारीगरों के हाथ बेकार कर दिए हैं |
निष्कर्ष – सच बात यह है कि विज्ञान के सदुपयोग या दुरुपयोग को ही वरदान या अभिशाप कहते हैं | विज्ञान का संतुलित उपयोग जीवनदायी है | उसका अंधाधुंद दुरुपयोग विनाशकारी है |
0 comments:
Post a Comment