पराधीन को सुख नहीं
पराधीनता का आशय – पराधीनता का आशय है – दुसरे के अधीन | अधीनता बहुत बड़ा दुःख है | हर आदमी स्वतंत्र रहना चाहता है | यहाँ तक कि सोने के पिंजरे में बंद पक्षी भी राजमहल के सुखों और स्वादिष्ट भोगों को छोड़कर खुले आकाश में उड़ जाना चाहता है |
स्वतंत्रता : जन्मसिद्ध अधिकार – प्रत्येक बच्चा सवतंत्र पैदा होता है | किसी मनुष्य, देश, समाज या राष्ट्र को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी व्यक्ति, देश समूह या राष्ट्र को बलपूर्वक अपने अधीन करे | आज विश्व के अधिकांश संविधान यह स्वीकार कर चिके हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार है |
मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है –
अधिकार खोकर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है |
न्यायार्थ अपने बंधू को भी दंड देना धर्म है |
पराधीनता की हानियाँ – पराधीन व्यक्ति जीवित होते हुए भी मृत के समान होता है | वह दासों के समान परायी और बसी ज़िंदगी जीता है | वह सदा अपने मालिक की और टुकर-टुकर निहारता है | हितोपदेश में कहा गया है – “जो प्रधीन्होने पर भी जीते हैं तो मरे हुए कौन हैं ?”
पराधीनता के प्रकार – पराधीन केवल बही नहीं होता, जिसके पैरों में बेड़ियाँ हों या चारों और दीवारों का घेरे हो | वह व्यक्ति भी पराधीन होता हिया जिसका मन गुलाम है | जैसे अंग्रेजों ने भारतियों को आज़ाद कर दिया, परंतु अनके भारतियों के मन अब भी अंग्रेजों के गुलाम हैं | जैसे अंग्रेजों ने भारतियों को आज़ाद कर दिया, परंतु अनके भारतियों के मन अब भी अंग्रेज़ों के गुलाम हैं | वे आज भी अंग्रेज़ीदां होने में गर्व अनुभव करते हैं | भला ‘निज संस्कुती’ से उखड़े हुए ऐसे लोगों को स्वाधीन या स्वतंत्र कैसे कहें ?
आर्थिक पराधीनता – पराधीनता का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रकार है – अधिक पराधीनता | गरीब देशों को न चाहते हुए भी अपने ऋणदाता देशों की कुछ गलत बारें माननी पड़ती हैं | अतः यदि भारतवासियों को आज़ादी का सुख भोगना है तो उन्हें पराधीनता की हर बेड़ी को तोड़ना होगा |
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